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टोमोथेरेपी H

अवलोकन टोमोथेरेपी H नए दौर का रेडिएशन थेरेपी प्लेटफार्म है, जिसमें इंटेंसिटी-मॉडुलेटेड रेडिएशन थेरेपी (IMRT) को कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (CT) इमेज गाइडिंग प्रौद्योगिकी से संयोजित किया जाता है। टोमोथेरेपी H को सभी प्रकार के रेडिएशन थेरेपी वाले रोगियों का उपचार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें अधिक गति, बेहतरीन सटीकता, और उपयोग में काफी आसानी के लाभ मिलते हैं।

टोमोथेरेपी H सबसे अद्वितीय रेडिएशन डिलीवरी प्लेटफार्म है जो अनेक लाभों, जैसे कि बेहतरीन परफार्मेंस, बेजोड़ खुराक वितरण और उन्नत रेडिएशन डिलीवरी गति के साथ फुल- स्पेक्ट्रम रेडिएशन थेरेपी को सपोर्ट करता है।

टोमोथेरेपी H को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह कठिन पहुंच वाले भागों में मौजूद ट्‌यूमर्स का उपचार करना आसान बनाती है।

बिल्ट-इन 3D CT इमेजिंग विशेषता, स्पेशलिस्ट्‌स को हर सत्र से पहले ट्‌यूमर की आकृति और सही स्थिति कन्फर्म करने और रेडिएशन बीम सटीकता से डिलीवर करने में मदद करती है। इमेज गाइडेंस विशेषता के माध्यम से, टोमोथेरेपी H आसपास के स्वस्थ ऊतकों तक रेडिएशन संपर्क कम करती है और इस प्रकार उपचार संबंधी दुष्प्रभावों के जोखिम कम कर देती है।

टोमोथेरेपी H स्तन, फेफड़ों, सिर और गर्दन, मस्तिष्क और प्रोस्टेट के कैंसरों के प्रबंधन में सहायक है।

HCG कैंसर सेंटर, भारत में पहला अस्पताल है जहां HDA कॉन्फिगरेशन के साथ टोमोथेरेपी H सीरीज़ को इंस्टाल किया गया है।

टोमोथेरेपी एच कैसे काम करता है?

टोमोथेरेपी इमेजिंग, प्लानिंग अर्थात योजना, रोगी की पोजीशनिंग, और रेडिएशन डिलीवरी इन सबको एक ही प्लेटफार्म में एकीकृत करती है। इससे कुल उपचार अवधि कम करने में मदद मिलती है और बेहतर उपचार प्रतिक्रिया और रिकवरी प्राप्त होती है।

उपचार की योजनाः पहले, ट्‌यूमर के आकार को स्पष्ट निर्धारित करने के लिए लक्ष्य भाग की 3D इमेज कैप्चर की जाती हैं। इमेजिंग के डेटा के आधार पर, रेडिएशन बीम की इंटेंसिटी, बीम की पोजीशन और शेप को कैलिब्रेट किया जाता है।

CT इमेजिंग और रोगी की पोजीशनिंगःसत्र से ठीक पहले, एक CT स्कैन करके ट्‌यूमर की पोजीशन कन्फर्म की जाती है, और रोगी को उसी के हिसाब से रेडिएशन थेरेपी के लिए पोजीशन किया जाता है। कुछ मामलों में, ट्यूमर की आकृति या पोजीशन थोड़ी बदल सकती है, और हर सत्र के ठीक पहले CT स्कैन स्पेशलिस्ट्‌स को यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि रेडिएशन सटीक तरह से ट्‌यूमर पर ही डिलीवर किया गया है।

रेडिएशन डिलीवरीःटोमोथेरेपी, स्लाइस-बाई-स्लाइस रेडिएशन डिलीवरी सुगम बनाती है और इससे ट्‌यूमर को हर कोण से टार्गेट करना सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। यह प्लेटफार्म CT स्कैनर की तरह काम करते हुए रोगी के आसपास घूमता है जिसकी पोजीशन उपचार वाले काउच पर होती है। यह लिनैक (लीनियर ऐक्सिलेरेटर) रेडिएशन को स्पाइरल डिलीवरी पैटर्न में डिलीवर करता है, जो कई कोण से खुराक वितरण और ट्‌यूमर को अधिक सटीक ढंग से उपचारित करना सुगम बनाता है।

टोमोथेरेपी एच के लाभ

टोमोथेरेपी H रोगियों और स्पेशलिस्ट्‌स को अनेक लाभ प्रदान करता हैः

हर सत्र से पहले ट्‌यूमर की लोकेशन सत्यापित की जाती है और इस तरह से अधिक सामान्य ऊतकों को छोड़ दिया जाता है और दुष्प्रभाव कम करने में मदद मिलती है।


रोगियों को ऐसे उपचार प्राप्त करने में मदद मिलती है जो पारंपरिक लिनैक पर संभव नहीं हैं।


हर मामले में निजी और प्रभावी उपचार योजना सुगम बनाती है।


बेहतर योजना, तथा अत्यधिक अनुकूलित खुराक वितरण की प्रभावी डिलीवरी सुगम बनाती है।


दैनिक CT इमेज गाइडेंस, रोगी की सटीक पोजीशनिंग, मार्जिन कटौती, और अनुकूलित योजना के लाभ प्रदान करती है और निर्बाध रेडिएशन थेरेपी सुगम बनाती है।


रेडिएशन उपचार से संबंधित दुष्प्रभावों का जोखिम कम करती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उपचार की अवधि 10 से 20 मिनट की हो सकती है।

टोमोथेरेपी H के संभावित दुष्प्रभावों में, थकान, त्वचा पर इरिटेशन, और मतली शामिल हैं। अधिकांश दुष्प्रभाव अस्थायी होते हैं और समय के साथ समाप्त हो जाते हैं।

हालांकि, यदि कोई दुष्प्रभाव छह सप्ताह से अधिक समय तक बना रहे, तो आपको अपने उपचारकर्ता डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

आप उपचार के बाद थकावट महसूस कर सकते हैं। आप त्वचा पर इरिटेशन भी महसूस कर सकते हैं। चूंकि यह एक नॉन-इन्वेसिव प्रक्रिया है जिसमें कम समय लगता है, इसलिए आप प्रक्रिया के तुरंत बाद घर जा सकते हैं।

आपको पर्याप्त आराम की ज़रूरत हो सकती है, जिससे आपके शरीर को अगले सत्र के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी।

यह कैंसर के प्रकार, इसकी अवस्था और रोगी की कुल दशा पर निर्भर करता है। अधिकांश रोगियों को रेडिएशन की थकावट से रिकवर होने में 3 – 4 सप्ताह लगते हैं, लेकिन कुछ मामलों में तीन महीने तक लग सकते हैं।

हमारे डॉक्टर्स, आपको दिए गए उपचार पर आपकी प्रतिक्रिया की लगातार निगरानी करेंगे। उपचार की निगरानी करने से यह ज्ञात करने में मदद मिलती है कि क्या दिया गया उपचार, अपेक्षा के अनुसार काम कर रहा है या नहीं। इसके लिए विविध जांचें जैसे कि PET-CT स्कैन, MRI, खून की जांचें या बायोप्सी की जा सकती हैं।

इन जांचों के परिणामों के आधार पर डॉक्टर बेहतर परिणामों के लिए उपचार योजना जारी रख सकते हैं या बदल सकते हैं।